भगवान मृत्युंजय एवं माँ पार्वती (मृत्युन्जय लोक ) के ठीक सामने भगवान नर्मदेश्वर अपने पिण्डी स्वरुप में प्रतिष्ठित है ,
भगवान् शिव और प्रकृति का एक अद्भुत संयोग जिसका अंदाजा सिर्फ इसी बात से ही लगाया जा सकता है की नर्मदेश्वर शिवलिंग पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही जगह पाया जाता है और वो है नर्मदा नदी के किनारे बसे बकवान नामक गाँव में. नर्मदेशर शिवलिंग अपने आप में प्रकृति की संरचना है. यहाँ नर्मदा नदी में पाए जाने वाले पत्थर सबसे अलग होते है जो बहाव के कारण अपने आप में ही अंडाकार हो जाते है. इसके बाद ये पत्थर गाँव के लोगो द्वारा इकट्ठे किये जाते है और फिर तरासने के बाद इन्हे पूरी दुनिया में भेजा जाता है
ऐसा माना जाता है की एक मिटटी के लिंग की पूजा करने से जो फल मिलता है उससे सौ गुना ज्यादा फल नर्मदेशर शिवलिंग की पूजा करने से मिलता है.
- बाणलिंग अर्थात नर्मदेश्वर की पूजा करने से घर की गरीबी दूर चली जाती है और धन, ऐश्वर्य एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है.
- यदि आप लम्बे समय से बीमार है तो रोजाना महामृत्युंजय मंत्र बोलते हुए शिवलिंग का जलाभिषेक करे इससे सभी रोगो से मुक्ति मिलती है
- श्रावण के महीने में इसकी पूजा विशेष फलदायी मानी गयी है और भगवान् शिव की कृपा से हर मुंहमांगी इच्छा पूरी होती है
- भगवान शंकर ज्ञान के देवता हैं और लिंगाष्टक में कहा गया है–’बुद्धिविवर्धनकारण लिंगम्’, अत: शिवलिंग पूजा बुद्धि का वर्धन करती है तथा साधक को अक्षय विद्या प्राप्त हो जाती है।
नर्मदेश्वर शिवलिंग का वैसे तो आप हर रोज पूजन कर सकते है लेकिन कुछ ऐसे विशेष दिन होते है जिनमे शिवलिंग पूजन करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है जैसे श्रावणमास, सोमवार, प्रदोष, मासिक शिवरात्रि, पुष्य नक्षत्र. इन दिनों में शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए।